पटना, 28 अक्टूबर 2023 : जयप्रभा मेदांता अस्पताल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रविशंकर सिंह ने वर्ल्ड ब्रेस्ट कैंसर अवेरयनेस मंथ के मौके पर कहा कि स्तन कैंसर हर जगह बढ़ रहा है। इसके लिए जीवनचर्या या लाइफ स्टाइल भी जिम्मेदार है। अभी भारत के शहरी इलाकों में प्रत्येक 22 महिला में एक को स्तन कैंसर का खतरा होता है जबकि ग्रामीण इलाका में यह अनुपात 60 और एक का है। स्तनपान नहीं कराने से एस्ट्रोजेन हार्मोन को एक्सपोजर मिलता है। एस्ट्रोजेन और कुछ हद तक प्रोस्ट्रोन हार्मोन स्तन और अंडाशय के कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। जिस महिला को जितनी देर से माहवारी शुरू होगा और जल्दी खत्म होगा, उसे स्तन कैंसर का उतना कम खतरा होगा।
वहीं जयप्रभा मेदांता की ब्रेस्ट ओंको सर्जन डाॅ. निहारिका राय ने कहा कि बिहार में वर्ष 2018 के सर्वे के अनुसार प्रति लाख 23.5 केस स्तन कैंसर के होते हैं। भारत में 25.8 व्यक्ति प्रति लाख स्तन कैंसर के केस होते हैं जबकि इस वजह से 12.7 व्यक्ति प्रति लाख की मृत्यु हो जाती है। वर्ष 2020 तक के डाटा के मुताबिक 2.3 मिलियन अर्थात 23 लाख केस स्तन कैंसर के होते हैं। स्तन कैंसर ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा शहरों में ज्यादा होता है। मेट्रो सिटी में और ज्यादा केस हैं। शहर में देर से शादियां होती हैं। अमूमन 30 वर्ष के बाद ही शादी होती है और बच्चे भी देर से होते हैं। ऐसे में हॉर्मोन का ज्यादा एक्सपोजर होता है, जो स्तन और अंडाशय के कैंसर को जन्म देता है। वैसे जीवन में जल्दी माहवारी शुरू होने और ज्यादा उम्र तक माहवारी होते रहने पर भी हॉर्मोन का ज्यादा एक्सपोजर होता है। ऐसे में स्तन और अंडाशय के कैंसर का रिस्क बढ़ता है। लंबे समय तक (पांच वर्ष से अधिक) लगातार गर्भ निरोधक दवाइयां (ओरल कोन्ट्रासिप्टिक टेबलेट)से भी कैंसर के लिए जिम्मेदार हार्मोन को ज्यादा एक्सपोजर मिलता है जिससे स्तन और अंडाशय के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
इसी क्रम में डाॅ. निहारिका राय ने बताया कि स्तन कैंसर को आम आदमी के लिहाज से मुख्यतः तीन स्टेज में बांटा गया है। शुरुआती स्तन कैंसर, लोकली एडवांस स्तन कैंसर और मेटास्थेटिक स्तन कैंसर। स्टेज एक और दो का इलाज काफी अच्छा है। तीसरे स्टेज में भी इलाज होता है, लेकिन मरीज का भविष्य उतना अच्छा नहीं होता है। उसकी उम्र कम हो जाती है। जागरूकता के अभाव में 50 प्रतिशत स्तन कैंसर के केस स्टेज -2 और स्टेज -3 (टीएनएम) तथा 15 से 20 प्रतिशत स्टेज-4(टीएनएम स्टेजिंग) में डॉक्टर के संज्ञान में आते हैं। शुरुआत में बहुत कम स्तन कैंसर का पता चल पाता है। इलाज स्टेज के अनुरुप होता है। स्तन कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी को मिलाकर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि जीन में परिवर्तन होता है तो मर्द और औरत दोनों में कैंसर हो सकता है। यदि किसी के परिवार में जीन के म्यूटेशन होता रहा है और कैंसरकारक जीन अगली पीढ़ी में चला जाता है यो कैंसर हो सकता है। जीन को रेडिएशन भी मिल गया तो स्तन कैंसर हो सकता है। पर्यावरण सहित कई और कारण हैं। औरत और मर्द दोनों में स्तन कैंसर के लिए तीन जीन कारक होते हैं-बीआरसीए-1, बीआरसीए-2 और पी53।
डाॅ. निहारिका राय ने बताया कि एस्ट्रोजेन और प्रोस्ट्रोन हार्मोन महिलाओं में माहवारी के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। यह दोनों हार्मोन अंडाशय और एड्रिनल ग्रंथि में बनता है। लेकिन जब मासिक आना बंद हो जाता है तो यह एड्रिनल ग्रंथी से निकलता रहता है। एस्ट्रोजेन हार्मोन ही प्रसव के बाद स्तन का आकार बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार होता है। स्तन दो चीजों से बना होता है-डक्ट और स्ट्रोमा टिशू। डक्ट की वजह से ही स्तन से दूध निकलता है जबकि स्ट्रोमा टिशू सहायक होता है। शरीर में निरंतर बदलाव और विकास होता रहता है जो कि हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। जब यह विकास अनियंत्रित गति से होने लगता है तो कैंसर हो सकता है। ऐसे में स्तन में गांठ बन जाएगा। बाहर घाव होता है। निप्पल में भी घाव बनता है। इससे रिसाव भी हो सकता है। ये घाव जल्दी सूखता नहीं है।
डाॅ. निहारिका राय ने आगे बताया कि यदि परिवार में स्तन या अंडाशय के कैंसर का इतिहास नहीं है तो अमूमन 40 वर्ष के बाद यह सामने आता है। उम्र बढ़ने के साथ स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है। यदि परिवार में कैंसर का इतिहास है तो 40 वर्ष के पहले भी यह उभर सकता है।
डाॅ. निहारिका राय ने कहा कि स्तन कैंसर के रिस्क को घटा सकते हैं। जैसे- समय से शादी और मां बनना, अपने शिशु को स्तन पान कराना, रेगुलर व्यायाम करना, हार्मोन की गोलियां लंबे वक्त तक नहीं लेना, मोटापा को नियंत्रित रखना, शराब और धुम्रपान नहीं करना आदि। लेकिन कुछ ऐेसे भी कारण है जिसे हम परिवर्तित नहीं कर सकते हैं, जैसे-जल्दी माहवारी शुरू होना और अत्यधिक उम्र तक होना, अनुवांशिक कारण जैसे की पूर्व में परिवार में स्तन कैंसर के मरीज का होना आदि।